रामानंद सागर के पोते बना रहे 'काकभुशुंडि रामायण', जानिए अरुण गोविल की रामायण से कैसे होगी अलग?

रामानंद सागर के पोते बना रहे 'काकभुशुंडि रामायण', जानिए अरुण गोविल की रामायण से कैसे होगी अलग?

22 hours ago | 5 Views

फिल्ममेकर रामानंद सागर ने साल 1987 में एक कमाल का शो दर्शकों को दिया जिसने एक बार नहीं बल्कि कई बार इतिहास रचा। हम बात कर रहे हैं वर्ल्ड रिकॉर्ड्स होल्डर सीरियल 'रामायण' की। अब रामानंद सागर के पोते शिव सागर अपने दादा की विरासत को आगे बढ़ाते हुए काकभुशुंडि रामायण बनाने जा रहे हैं। इस शो का टाइटल होगा "काकभुशुंडि रामायण - अनकही कहानियां"। प्रोड्यूसर के मुताबिक दूरदर्शन का यह शो हाई-टेक VFX और म्यूजिक के साथ तैयार किया जाएगा, जिससे दर्शकों को भरपूर सांस्कृतिक अनुभव दिया जा सके।

यूं जिंदा रखी है पिछली रामायण की रूह

शिव सागर ने इंडिया टुडे डिजिटल के साथ बातचीत में बताया कि जहां एक तरफ ऑरिजनल शो का लेवल मैच कर पाना नामुमकिन है वहीं वो अब चाहते हैं कि एक नए दृष्टिकोण के साथ नई पीढ़ी के लिए कुछ परोसा जाए। शिव सागर ने बताया, "मुझे डर लग रहा था, यह कुछ ऐसा है कि आपसे कोई दोबारा 'शोले' बनाने के लिए कह दे। लेकिन अब हमारे पास नई टेक्नोलॉजी है और नई तरह का मीडिया है। हमने इसे नई तरह की पैकेजिंग के साथ नई पीढ़ी के लिए बनाने का फैसला किाय। जाहिर तौर पर हमने उस रूह को जिंदा रखा है और कई सारे दोहे और चौपाइयां इस्तेमाल की हैं।"

रामायण की कहानी से कैसे अलग होगा शो

शिव सागर ने कहा कि ज्यादातर लोगों को नहीं पता है कि काकभुशुंडि जो कि हमारी काहनी के सूत्रधार हैं। वह एक कौवे के रूप में एक संत थे और राम लला के प्रिय थे, उनका जन्म अयोध्या में ही हुआ था। और काकभुशुंडि की कहानी से इतर रामायण की कहानी भी आगे जाती है। हमने रावण और उसके परिवार के बारे में भी बहुत कुछ बताया है। प्रोड्यूसर ने टाइट बजट के साथ काम करने की चुनौतियों पर भी बात की। उन्होंने बताया कि उन्होंने बड़ोदा में शूटिंग करने का फैसला किया जहां उनसे पास स्टूडियो है, ताकि कम बजट में काम किया जा सके।

होटल मैनेजमेंट की पढ़ाई कर रहे थे शिव

शिव सागर ने बताया, "पूरे सेटअप ने हमारी जान निकाल ली। प्रोजेक्ट ही ऐसा है कि आपको लार्जर दैन लाइफ सेट, कॉस्ट्यूम और प्रो्डक्शन की जरूरत पड़ती है। इसमें वाकई काफी बजट बढ़ जाता है, लेकिन हम उतने ही बजट में बेस्ट प्रोडक्ट लाने में कामयाब रहे हैं। यह मेरे दादाजी के लिए एक श्रद्धांजलि है और इसीलिए हम बजट पर बहुत ज्यादा ध्यान नहीं दे रहे हैं।" शिव ने बताया कि शुरू में उनका झुकाव सिनेमा की तरफ नहीं था और वह स्विजरलैंड में पढ़ाई करने के बाद होटल मैनेजमेंट की तैयारी कर रहे थे। वह मनाली में होटल बनाकर उसे मैनेज करना चाहते थे। लेकिन फिर आध्यात्म की ओर झुकाव उन्हें टीवी सीरियल शनि के सेट तक ले आया।

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