Gyaarah Gyaarah Review: भूत, भविष्य और वर्तमान के उलझे पेंच, रोमांच से भर देगी टाइम ट्रैवल की यह अनूठी कहानी
3 months ago | 44 Views
ओटीटी प्लेटफॉर्म: ZEE5
स्टार कास्ट: राघव जुयाल, कृतिका कामरा, धैर्य कारवा, आकाश दीक्षित
जॉनर: फैंटेसी थ्रिलर
टाइम ट्रैवल यानि समय यात्रा एक ऐसा विषय है जिस पर अभी तक तमाम फिल्में और वेब सीरीज बन चुकी हैं। हर बार मेकर्स समय यात्रा की अलग और अनूठी संभावनाओं को तलाशने की कोशिश करते हैं। राघव जुयाल और कृतिका कामरा की वेब सीरीज 'ग्यारह ग्यारह' की कहानी भी इसी कॉन्सेप्ट पर आधारित है। ओटीटी प्लेटफॉर्म ZEE5 पर रिलीज हुई यह सीरीज तीन अलग-अलग कालखंडों (1990, 2001, 2016) में हो रही घटनाओं को आपस में जोड़ती है। राघव जुयाल ने एक ईमानदार और कर्मठ पुलिस अफसर (युग आर्या) का किरदार निभाया है जो एक ऐसे केस को हल करना चाहता है, जिसकी एक कड़ी को उसने बचपन में जिया है।
क्या है सीरीज 'ग्यारह ग्यारह' की कहानी?
युग एक फीमेल पुलिस ऑफिसर वामिका (कृतिका कामरा) को रिपोर्ट करता है। वामिका कुछ हद तक युग से जलती है लेकिन उसके टैलेंट पर भरोसा भी करती है। कहानी एक ऐसे टाइम फ्रेम में शुरू होती है जहां कानून और न्याय व्यवस्था से जुड़े बड़े बदलाव होने जा रहे हैं और 15 साल पुराने हर केस को क्लोज कर दिया जाएगा। कवायद है एक 11 साल की बच्ची की हत्या के केस को सुलझाने की जिसमें एक मेजर ट्विस्ट तब आता है जब स्टोर रूम में कबाड़ पड़े एक वॉकी-टॉकी की लाइट्स अचानक ऑन हो जाती हैं और इसमें बैट्री ना होने के बावजूद रात के ठीक 11 बजकर 11 मिनट पर शौर्य अंटवाल (धैर्य कारवा) नाम का एक अफसर इस पर रिपोर्ट करता है।
शुरू में तो युग को कुछ समझ नहीं आता, लेकिन वो इस वॉकी-टॉकी पर शौर्य नाम के अफसर से मिली जानकारियों को कन्फर्म करने की कोशिश करता है तो उसे पता चलता है कि हर इन्फॉर्मेशन ना सिर्फ सही है बल्कि इस अपराध को कोर्ट में साबित करने के सबूत भी देती है। चीजें कुछ ऐसा मोड़ लेती हैं कि युग और वामिका साथ में मिलकर इस बच्ची वाले केस को सुलझाने की कोशिश करते हैं और आरोपी को पकड़ भी लेते हैं। लेकिन यह केस न्यूज में इतना वायरल होता है कि सरकार ऐलान करती है कि 15 साल पुराने आपराधिक मामलों वाले केस नहीं बंद किए जाएंगे। अब चुनौती है एक नए केस को हल करने की।
हर रात 11 बजकर 11 मिनट पर युग की शौर्य से बात होती है और दोनों एक दूसरे से कुछ ऐसे क्लू शेयर करते हैं जिनकी मदद से अपने-अपने टाइम जोन में वो इन अपराधों को रोकने और इनके कातिलों को पकड़ने में कामयाब होने लगते हैं। वामिका नहीं जानती है कि युग जिससे वॉकी टॉकी पर बात करता है ये वही शख्स है जिससे वो प्यार करती थी और उसकी मौत हो चुकी है। तीनों ही टाइम फ्रेम के केस आपस में इतने उलझे हुए हैं कि सस्पेंस और थ्रिलर का लेवल काफी हाई रहता है। कहानी इतने तरीके से लिखी गई है कि आगे क्या होगा यह प्रेडिक्ट कर पाना बहुत मुश्किल हो जाता है।
पहला एपिसोड थोड़ा धीमे शुरू होता है लेकिन भूमिका तय हो जाने के बाद हर एपिसोड की आखिर में आपके लिए अगले एपिसोड को प्ले करना मुश्किल होता जाता है। क्या युग, वामिका और शौर्य भूत, भविष्य और वर्तमान की इस टाइम ट्रैवल की गुत्थियों को सुलझा पाएंगे? क्या वामिका को उसका प्यार मिलेगा? क्या उन अपराधियों को उनके किए की सजा मिलेगी जिनकी ये ऑफिसर्स पड़ताल में लगे हुए हैं? और सबसे बड़ा सवाल, कि आखिर वॉकी टॉकी पर ये सिग्नल रात के ठीक 11.11 पर ही क्यों आते हैं? ऐसे तमाम सवालों के जवाब जानने के लिए आपको सीरीज देखनी होगी।
फिल्म में क्या है पॉजिटिव और कहां हुई चूक?
कोरियन वेब सीरीज 'सिग्नल' की इस हिंदी एडैप्टेशन सीरीज को काफी अच्छा रिस्पॉन्स मिल रहा है। कहानी कड़क है इसमें कोई दोराय नहीं है, लेकिन इसके अलावा जिस तरह से इसे एग्जीक्यूट किया गया है वो भी काबिल-ए-तारीफ है। बैकग्राउंड म्यूजिक से लेकर कलाकारों की एक्टिंग तक सब कुछ दमदार है। राघव जुयाल हर प्रोजेक्ट की तरह इस बार भी अपना बेस्ट देने की कोशिश करते नजर आए हैं। सीरीज का क्लाइमैक्स आपको सोचने पर मजबूर कर देता है। उमेश भट्ट ने हर फ्रेम को इतनी खूबसूरती से फिल्माया है कि देखने में अच्छा लगता है। कहीं बीच-बीच में VFX का भी इस्तेमाल है जो कि अटपटा नहीं लगता है।
ZEE5 की सीरीज 'ग्यारह ग्यारह' देखें या नहीं?
कुल मिलाकर अगर आप सस्पेंस थ्रिलर और फिक्शन सीरीज और फिल्में देखना पसंद करते हैं तो यह सीरीज आपके लिए है। कहानी की इन्टेंसिटी आपको बांधे रखती है और दर्शक लगातार कहानी के साथ-साथ इस पहेली को सुलझाने की कोशिश में लगे रहते हैं जो काफी इन्गेजिंग है।
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