IC 814: भारत में नहीं मरना चाहते थे आतंकी, कांधार हाइजैक के वक्त जब कैप्टन ने लिया प्लेन क्रैश करने का फैसला
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कांधार हाइजैक पर बनी फिल्म IC 814 चर्चा में है। मूवी के साथ 1999 में हुई इस आतंकी घटना के कई किस्से सामने आने शुरू हो गए हैं। दिल्ली से काठमांडू जाने वाली उस फ्लाइट के कैप्टन देवी शरण थे। एक मीडिया हाउस से बातचीत में उन्होंने उस वक्त का डरावना अनुभव याद किया। उन्होंने बताया कि कैसे उनके पास प्लेन क्रैश कराने के सिवा कोई रास्ता नहीं बचा था। फिर मैदान में लोग देखकर ठिठके और यह कदम गेम चेंजर साबित हुआ।
प्लेन क्रैश कराने की थी नौबत
सीएनएन से बातचीत में कैप्टन देवी शरण ने बताया कि कैसे उनके सामने असमंजस की स्थिति हो गई थी। हाइजैकर्स भारत में मरना नहीं चाहते थे और पाकिस्तान में उन्हें लैंड करे की अनुमति नहीं दी जा रही थी। ईधन खत्म होने पर प्लेन क्रैश कराने की नौबत आ गई थी। देवी शरण बताते हैं, मैं लाहौर पहुंचा। सब कुछ बंद था। एयरपोर्ट रनवे बंद था। मेरे पास कोई रास्ता नहीं था। मेरे पास अमृतसर वापस जाने के लिए ईधन नहीं था। मेरे पास सिर्फ एक चॉइस थी कि प्लेन को क्रैश कर दूं।
लोगों को देखकर रोकी लैंडिंग
देवी शरण ने देखा कि ग्राउंड पर लोग हैं तो लैंडिंग को थोड़ा टालने करने का फैसला लिया। ऐसा करे पर पाकिस्तान एयरपोर्ट अथॉरिटीज को वहां खतरे का अंदेशा हुआ और फ्लाइट को तुरंत लैंड करने के लिए क्लीयरेंस दे दिया। देवी शरण बताते हैं, 'इस बीच पाकिस्तान एयरपोर्ट अफसरों को पता चल गया था कि हमें यह प्लेन क्रैश करना है। उन्होंने मुझे रनवे दिया। मेरे पास डेढ़ मिनट का ईधन बचा था तो खुशकिस्मती से रनवे पर लैंड हो गया।'
वहीं नहीं टली थी मुसीबत
यात्रियों और कैप्टन का तनाव यहीं खत्म नहीं हुआ था। लाहौर एयरपोर्ट पर ईधन भरवाकर हाइजैकर्स ने डिमांड की कि प्लेन को यूएई ले जाया जाए। वहां उन्होंने 26 यात्रियों को रिहा किया साथ में यात्री की लाश थी जिसको फ्लाइट में चढ़ने पर मार दिया गया था। एक हफ्ते तक हाईजैकर्स और भारतीय सरकार के बीच बातचीत चलती रही। भारत सरकार को इंडिया की जेल में बंद 3 आतंकवादी छोड़ने पड़े थे ताकि पैसेंजर्स सुरक्षित बच जाएं।
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