
तमिल हिंदू तो नाम वॉशिंगटन सुंदर क्यों? बहुत दिलचस्प है इसके पीछे की कहानी
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वॉशिंगटन सुंदर चर्चा में हैं। रविवार को सनराइजर्स हैदराबाद के खिलाफ गुजरात टाइटंस की जीत में उन्होंने अहम किरदार निभाया। हैदराबाद ने पहले बल्लेबाजी करते हुए गुजरात के सामने जीत के लिए 153 रनों का लक्ष्य रखा था। जवाब में गुजरात की पारी शुरुआत में लड़खड़ा गई। चौथे ओवर में महज 16 रन के स्कोर पर दो विकेट गिर चुके थे। टीम संकट की स्थिति में थी और वॉशिंगटन सुंदर को प्रमोट कर चौथे नंबर पर बैटिंग के लिए भेजा गया। सुंदर ने शुभमन गिल के साथ शानदार साझेदारी कर गुजरात की जीत की नींव रखी। वह सिर्फ एक रन से अर्धशतक से चूक गए। उन्होंने 29 गेंदों में 49 रनों की अपनी पारी में 5 चौके और 2 छक्के लगाए। क्या आप जानते हैं कि तमिल हिंदू परिवार में जन्मे वॉशिंगटन सुंदर के इस नाम के पीछे एक बहुत ही दिलचस्प कहानी है? आइए जानते हैं।
वॉशिंगटन सुंदर का जन्म 5 अक्टूबर 1999 को चेन्नई में एक तमिल हिंदू परिवार में हुआ। उनको ये नाम उनके पिता एम. सुंदर ने अपने मेंटर और गॉडफादर पीडी वॉशिंगटन के सम्मान में दिया। दरअसल, एम. सुंदर के पिता भी अपने जमाने में एक अच्छा क्रिकेटर रहे थे लेकिन वह तमिलनाडु की टीम में जगह नहीं बना पाए। पीडी वॉशिंगटन क्रिकेट के बहुत बड़े फैन थे और वह सीनियर सुंदर के अच्छे खेल के मुरीद भी थे। वह पढ़ाई-लिखाई से लेकर खेल तक के लिए उनकी हर संभव मदद किया करते थे। टाइम्स ऑफ इंडिया की एक 2019 की एक रिपोर्ट के मुताबिक, पीडी वॉशिंगटन ने एम. सुंदर की पढ़ाई-लिखाई को स्पॉन्स किया। उनके स्कूल की फीस, किताबें, क्रिकेट गियर वगैरह वही खरीदकर देते थे।
1999 में पीडी वॉशिंगटन का निधन हो गया। संयोग से उसी साल अक्टूबर में एम. सुंदर को एक बेटा हुआ। तब उन्होंने फैसला किया कि वह अपने बेटे को अपने गॉडफादर का नाम देंगे। इस तरह उस बच्चे का नाम पड़ा वॉशिंगटन सुंदर।
वॉशिंगटन सुंदर 6 साल की उम्र से क्रिकेट खेलने लगे थे। वह हर दिन अपने पिता और बड़ी बहन शैलजा सुंदर के साथ क्रिकेट खेलते थे। बाद में वह उम्र में खुद से बड़े बच्चों के साथ खेलने लगे और अपनी प्रतिभा को निखारने लगे। उनकी बहन शैलजा भी क्रिकेटर हैं और तमिलनाडु की तरफ से खेलती हैं।
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