पर्थ टेस्ट का तीसरा दिन भी भारत के नाम, कोहली-यशस्वी और बुमराह ने कंगारुओं को किया बेदम; आने लगी जीत की महक
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युवा यशस्वी जायसवाल और अनुभवी विराट कोहली के ‘बहु प्रतीक्षित’ शतक से ऑस्ट्रेलिया को 534 रन का रिकॉर्ड लक्ष्य देने के बाद भारत ने मेजबान टीम का स्कोर तीन विकेट पर 12 रन करके रविवार को यहां पहले क्रिकेट टेस्ट के तीसरे दिन अपना पलड़ा भारी रखा। जसप्रीत बुमराह (एक रन पर दो विकेट) और मोहम्मद सिराज (सात रन पर एक विकेट) ने 4.2 ओवर में ऑस्ट्रेलिया को तीन झटके देकर भारत को शानदार शुरुआत दिलाई। बुमराह ने पारी के पहले ही ओवर में नाथन मैकस्वीनी (00) को पगबाधा किया जिसके बाद सिराज ने कप्तान पैट कमिंस (02) को स्लिप में कोहली के हाथों कैच कराया।
बुमराह ने स्टार बल्लेबाज मार्नस लाबुशेन (03) को पगबाधा किया जो दिन की आखिरी गेंद साबित हुई। दिन का खेल खत्म होने पर सलामी बल्लेबाज उस्मान ख्वाजा तीन रन बनाकर खेल रहे थे। ऑस्ट्रेलिया को अब जीत के लिए 522 रन जबकि भारत को सिर्फ सात विकेट की दरकार है। जायसवाल ने एक बार फिर अपनी प्रतिभा की झलक पेश करते हुए ऑस्ट्रेलिया में अपने पहले ही टेस्ट में 161 रन बनाए। दिसंबर में 23 बरस के होने जा रहे जायसवाल ने अपनी पारी के दौरान 297 गेंद का सामना करते हुए 15 चौके और तीन छक्के जड़े। उन्होंने लोकेश राहुल (77) के साथ पहले विकेट के लिए रिकॉर्ड 201 रन की साझेदारी की।
जायसवाल के आउट होने के बाद भारतीय टीम जब संकट में घिरी तो मोर्चा 36 साल के कोहली (नाबाद 100, 143 गेंद, आठ चौके, दो छक्के) ने संभाला और जुलाई 2023 के बाद अपना पहला और कुल 30वां टेस्ट शतक जड़ा। उन्होंने वाशिंगटन सुंदर (29) के साथ छठे विकेट के लिए 89 जबकि नितीश कुमार रेड्डी (नाबाद 38) के साथ सातवें विकेट की 77 रन की अटूट साझेदारी की। पिच से असमान उछाल मिल रहा है जिससे भारतीय कप्तान जसप्रीत बुमराह और उनके साथी गेंदबाज खुश होंगे।
ऑस्ट्रेलिया को रिकॉर्ड लक्ष्य मिला है। लक्ष्य का पीछा करते हुए सबसे बड़ी जीत का रिकॉर्ड वेस्टइंडीज के नाम है जिसने मई 2003 में सेंट जोंस में ऑस्ट्रेलिया के खिलाफ सात विकेट पर 418 रन बनाकर जीत दर्ज की थी। ऑस्ट्रेलिया में लक्ष्य का पीछा करते हुए सबसे बड़ी जीत का रिकॉर्ड दक्षिण अफ्रीका के नाम है जिसने दिसंबर 2008 में पर्थ के ही वाका मैदान पर चार विकेट पर 406 रन बनाकर जीत दर्ज की थी। भारत की दूसरी पारी में तीसरे दिन का दूसरा सत्र ऑस्ट्रेलिया के लिए सबसे सफल रहा जिसमें टीम ने चार विकेट चटकाए।
भारत ने सत्र की शुरुआत एक विकेट पर 275 रन से की और 321 रन तक पांच विकेट गंवा दिए। कोहली और सुंदर ने इसके बाद पारी को संभाला। कोहली ने स्टार्क जबकि सुंदर ने ट्रेविस हेड पर छक्का मारा। कोहली ने कमिंस की गेंद पर तीन रन के साथ 94 गेंद में अर्धशतक पूरा किया। सुंदर लियोन की गेंद को स्लॉग स्वीप करने की कोशिश में बोल्ड हुए। पदार्पण कर रहे रेड्डी ने मार्श पर छक्का जड़ने के बाद उनके ओवर में लगातार तीन चौके भी मारे। कोहली ने लियोन पर छक्का मारा और फिर लाबुशेन पर चौके के साथ 143 गेंद के शतक पूरा किया जिसके बाद कप्तान बुमराह ने पारी घोषित कर दी।
एडीलेड में दूसरे टेस्ट से पहले देवदत्त पडिक्कल (25) और ध्रुव जुरेल (01) के पास खुद को साबित करने का मौका था लेकिन ये दोनों इसका फायदा उठाने में नाकाम रहे। दूसरे टेस्ट में इन दोनों की जगह कप्तान रोहित शर्मा और चोटिल शुभमन गिल की वापसी लगभग तय है। पडिक्कल ने चाय के बाद जोश हेजलवुड (28 रन पर एक विकेट) की पहली ही गेंद पर स्लिप में स्मिथ को कैच थमाया। भारत को सबसे बड़ा झटका जायसवाल के रूप में लगा जो मिशेल मार्श (65 रन पर एक विकेट) की गेंद को प्वाइंट पर सीधे स्मिथ के हाथों में खेल गए।
ऋषभ पंत (01) ने एक बार फिर आक्रामक रवैया अपनाने की कोशिश की लेकिन नाथन लियोन (96 रन पर दो विकेट) की गेंद पर स्टंप हो गए।कमिंस ने जुरेल को पगबाधा करके भारत को पांचवां झटका दिया। ठीक 32 साल पहले 17 साल के सचिन तेंदुलकर ने वाका की टूटती पिच पर अंतिम दो दिन बल्लेबाजी करते हुए शतक जड़कर दुनिया का ध्यान खींचा था। इसके बाद तेंदुलकर ने क्रिकेट के मैदान पर जो किया वह इतिहास के पन्नों में दर्ज है। और अब जायसवाल ने दुनिया को दिखा दिया है कि भारत का भविष्य सुरक्षित हाथों में है। वह तेंदुलकर के बाद पर्थ में शतक जड़ने वाले दूसरे सबसे युवा भारतीय बल्लेबाज हैं। जायसवाल ने हेजलवुड की बाउंसर को विकेटकीपर के ऊपर से छह रन के लिए भेजकर अपना चौथा टेस्ट शतक पूरा किया जो एसईएनए (दक्षिण अफ्रीका, इंग्लैंड, न्यूजीलैंड और ऑस्ट्रेलिया) देशों में उनका पहला शतक है।
उन्होंने अपने चारों शतक के दौरान 150 से अधिक रन बनाए हैं। इस छक्के के साथ जायसवाल और राहुल की सलामी जोड़ी ने भारत की ओर से 191 रन की पिछली सर्वश्रेष्ठ साझेदारी को पीछे छोड़ा जो 1986 में सुनील गावस्कर और कृष्णमाचारी श्रीकांत ने बनाई थी। दूसरे दिन रक्षात्मक होकर खेलने वाले राहुल ने 60 ओवर से अधिक पुरानी गेंद के खिलाफ तेज रन बनाने की कोशिश की। उन्होंने मिशेल स्टार्क की गेंदों पर कुछ रन जुटाए लेकिन शतक से चूक गए। ऑस्ट्रेलिया में 200 रन की साझेदारी पूरी करने वाली पहली भारतीय सलामी जोड़ी बनने के बाद राहुल ने स्टार्क की कोण लेती गेंद पर विकेटकीपर एलेक्स कैरी को कैच थमाया।
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