T20 WC Rahul Dravid: कैसे तूफान में बदली कोच राहुल द्रविड़ की खामोशी, 2007 के दर्द से टी20 चैंपियन बनने तक का सफर

T20 WC Rahul Dravid: कैसे तूफान में बदली कोच राहुल द्रविड़ की खामोशी, 2007 के दर्द से टी20 चैंपियन बनने तक का सफर

5 days ago | 6 Views

T20 WC Rahul Dravid: साल 2007 में एक फिल्म रिलीज हुई थी, ‘चक दे इंडिया’। यह कहानी थी एक ऐसे खिलाड़ी की, जिसको 1982 के एशियन गेम्स में भारतीय हॉकी टीम की हार का विलेन करार दिया गया था। बरसों बाद वह खिलाड़ी कोच के तौर पर लौटता है। खामोश रहते हुए अपने जज्बात का इजहार भारत की महिला हॉकी टीम को विश्वकप दिला कर करता है। कुछ ऐसा ही नजारा कल बारबाडोस के मैदान पर भी देखने को मिला। यहां कोच की भूमिका में भारत के मिस्टर वॉल यानी राहुल द्रविड़ थे। वही राहुल द्रविड़, जिनकी कप्तानी में टीम इंडिया 2007 के वनडे वर्ल्ड कप में लीग स्टेज में ही बाहर हो गई थी। द्रविड़ का खामोश तूफान कल भारत की जीत के रूप में बाहर आया। हमेशा शांत रहने वाले द्रविड़ भी बीच मैदान में गरजते नजर आए। मानो बरसों का गुबार बादल बन कर फट पड़ा हो। 

स्ट्रेटजी बनाकर किया काम
कोच राहुल द्रविड़ की टीम टी20 वर्ल्ड में अजेय रही। इसके पीछे थी द्रविड़ और कोचिंग स्टाफ की मेहनत। इसकी तैयारी कई साल से पहले की गई थी। हर मैच के बाद ड्रेसिंग रूम में हर खिलाड़ी के प्रदर्शन का आकलन किया गया। हंसी-मजाक के बीच मेडल पहनाकर खिलाड़ियों की हौसलाफजाई की गई। अन्य खिलाड़ियों को और बेहतर प्रदर्शन के लिए प्रेरित किया गया। ड्रेसिंग रूम के माहौल को हल्का और खुशमिजाज रखने की जिम्मेदारी बैटिंग कोच विक्रम राठौर और अन्य की थी। कोच के तौर पर राहुल द्रविड़ के लिए यह विश्वकप आखिरी था और उन्हें भारतीय टीम ने शानदार विदाई दी। 

हर डिपार्टमेंट में कड़ी मेहनत
भारतीय खेमे ने खेल के हर विभाग में कड़ी मेहनत की। बैटिंग और बालिंग के अलावा फील्डिंग पर भी खास ध्यान दिया गया। हर वाइड और नो बॉल पर पैनी निगाह रखी गयी। इसके अलावा मिस फील्ड पर भी हेड कोच राहुल द्रविड़ की कड़ी नजर रही। मैच की जीत के बावजूद होटल रवाना होने से पहले हर छोटी-बड़ी गलती को दूर करने की नसीहत दी गयी। भारत ने इस विश्वकप में दुनिया की सर्वश्रेष्ठ टीमों को आसानी से हराया। फिर चाहे ऑस्ट्रेलिया हो, इंग्लैंड, पाकिस्तान और फाइनल में दक्षिण अफ्रीका ही क्यों न हों। लेकिन इसके साथ ही रोहित की टीम ने अफगानिस्तान और अमेरिका जैसी टीमों को भी हल्के में लेने की भूल नहीं की।

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