विराट कोहली और रोहित शर्मा को लेकर बीसीसीआई के इस फैसले से खुश नहीं सुनील गावस्कर, बोले- चयनकर्ताओं ने…
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आगामी दलीप ट्रॉफी के लिए टीमों की घोषणा से पहले यह कयास लगाए जा रहे थे कि यह एक सितारों से भरा इवेंट हो सकता है, जिसमें विराट कोहली और रोहित शर्मा समेत टीम इंडिया के शीर्ष खिलाड़ी हिस्सा लेंगे। जब चयनकर्ताओं ने चार टीमों का ऐलान किया तो उसमें टेस्ट कप्तान रोहित शर्मा, विराट कोहली, जसप्रीत बुमराह, मोहम्मद शमी और हार्दिक पांड्या का नाम नहीं था। हालांकि उनके अलावा अधिकतर खिलाड़ी इस टूर्नामेंट का हिस्सा बनने को तैयार हैं।
बुमराह को पीठ की चोट को ध्यान में रखते हुए उन्हें आराम दिया गाय है, जबकि मोहम्मद शमी टखने की चोट से उबर रहे हैं। वहीं पांड्या ने तो दिसंबर 2018 से ही फर्स्ट क्लास क्रिकेट नहीं खेला है। ऐसे में इन तीनों का दलीप ट्रॉफी में ना खेलना समझ आता है, मगर विराट कोहली और रोहित शर्मा इस टूर्नामेंट का हिस्सा क्यों नहीं है, यह सवाल अधिकतर फैंस के जहन में था।
जब इस बारे में जय शाह से पूछा गया तो उन्होंने टाइम ऑफ इंडिया को बताया कि विराट और रोहित को घरेलू क्रिकेट खेलने के लिए कहकर उन पर बोझ बढ़ाने का कोई मतलब नहीं है। उनके चोटिल होने का जोखिम रहता है।
हालांकि सुनील गावस्कर का मानना अगल है। उनका कहना है कि रोहित और विराट की उम्र बढ़ रही है। उन्हें फॉर्म में रहने के लिए अधिक से अधिक खेलने की जरूरत है। अब जब ये दोनों प्लेयर टी20 से रिटायरमेंट ले चुके हैं और इस साल कोई और वनडे मैच नहीं है तो कोहली-रोहित को सिर्फ टेस्ट मैच ही खेलने का मौका मिलेगा। इसके लिए उनके लिए दलीप ट्रॉफी में तैयारी की जरूरत थी।
गावस्कर ने मिड-डे के लिए अपने कॉलम में लिखा, "चयनकर्ताओं ने कप्तान रोहित शर्मा और विराट कोहली को दलीप ट्रॉफी के लिए नहीं चुना है, इसलिए वे शायद बांग्लादेश टेस्ट सीरीज में बिना ज्यादा अभ्यास के ही उतरेंगे।"
उन्होंने आगे कहा, "हालांकि यह समझ में आता है कि जसप्रीत बुमराह जैसे खिलाड़ी को उनकी नाजुक पीठ के साथ सावधानी से संभालने की जरूरत है, लेकिन बल्लेबाजों को बीच में कुछ समय के लिए बल्लेबाजी करने की जरूरत होती है। एक बार जब कोई खिलाड़ी किसी भी खेल में 30 से अधिक की उम्र में पहुंच जाता है, तो नियमित प्रतिस्पर्धा उसे अपने द्वारा स्थापित उच्च मानकों को बनाए रखने में मदद करेगी। जब लंबा अंतराल होता है तो मांसपेशियों की याददाश्त कुछ हद तक कमजोर हो जाती है और पहले के उच्च मानकों पर वापस आना आसान नहीं होता है।"
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