'कहीं न कहीं आपका अहंकार ऊपर आ जाता है', पीएम मोदी के सामने ऐसा क्यों बोले विराट कोहली?

'कहीं न कहीं आपका अहंकार ऊपर आ जाता है', पीएम मोदी के सामने ऐसा क्यों बोले विराट कोहली?

2 months ago | 13 Views

टी-20 वर्ल्ड कप जीतने के बाद टीम इंडिया का भारत में जबरदस्त स्वागत हुआ। बारबाडोस से सीधे टीम के खिलाड़ी और कोच प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से मिलने पहुंचे, जहां उन्होंने अपने अनुभवों को साझा किया। इस दौरान, विराट कोहली ने फाइनल से पहले खराब परफॉर्मेंस से जुड़े पीएम मोदी के एक सवाल पर अहंकार का जिक्र किया। उन्होंने कहा कि जब आपको लगता है कि मैं कर दूंगा तो कहीं-न-कहीं आपका अहंकार ऊपर आ जाता है और फिर खेल आपसे दूर चला जाता है।

बातचीत के दौरान विराट कोहली से पीएम मोदी ने पूछा कि टोटल आपका 75 था और फिर फाइनल में 76। कभी कभार यह पल होता है कि जब सभी कहते हैं कि तुम ही कर लोगे। जब 75 पर दबे रहते थे तो परिवार से क्या रिएक्शन आता था? इस पर विराट कोहली ने कहा कि समय का अंतर ज्यादा था तो परिवार से ज्यादा बात नहीं हुई। मम्मी ज्यादा टेंशन ले लेती हैं। मैं जो भी करने की कोशिश कर रहा था, वह हो नहीं पा रहा था। मुझे यही लगा कि जब आपको लगता है कि मैं कर दूंगा तो कहीं-न-कहीं आपका अहंकार ऊपर आ जाता है और फिर खेल आपसे दूर चला जाता है। यही छोड़ने की जरूरत थी, बाकी गेम की सिचुएशन ऐसी बन गई कि मेरे लिए अहंकार को ऊपर रखने की जगह ही नहीं थी। जब गेम को इज्जत दी तो मुझे गेम ने वापस इज्जत दी।  

'राहुल द्रविड़ ने कहा, भरोसा है परफॉर्म करोगे'
पीएम मोदी से बातचीत की शुरुआत में विराट कोहली ने कहा कि पहले तो बहुत-बहुत शुक्रिया कि आपने सभी को यहां बुलाया। यह दिन मेरे लिए हमेशा जहन में रहेगा, क्योंकि पूरे टूर्नामेंट में वह कंट्रीब्यूट नहीं कर पाया जो करना चाहता था। उन्होंने कहा, ''एक समय राहुल भाई (राहुल द्रविड़) को भी बोला कि मैंने अपने आप को और टीम को न्याय नहीं दिया अब तक। तब इन्होंने बोला कि जब हालात आएंगे, मुझे भरोसा है कि तुम परफॉर्म करोगे। जब फाइनल खेलने गए तो रोहित को बोला कि ये क्या गेम है। एक दिन लगता है कि एक रन नहीं बनेगा और एक दिन सबकुछ होने लगता है। 

'जो होना होता है वह किसी भी तरह हो होता ही है'
फाइनल में टीम इंडिया की जीत में अहम योगदान देने वाले विराट ने आगे कहा कि विकेट गिरने के बाद मुझे फील हुआ कि सरेंडर करना है कि टीम के लिए क्या जरूरी है अभी, यही फोकस में था। मुझे फील हुआ कि मुझे उस जोन में डाला गया। किस वजह से डाला गया, यह बताना मुश्किल है। मैं उस मूवमेंट में बंध गया।'' बाद में समझ आया कि जो होना होता है, वो किसी भी तरह से होता ही है। यह होना ही था मेरे और टीम के साथ। जिस तरह मैच जीते आखिर में, हम लोगों ने एक-एक बॉल को जिया। एक समय उम्मीद छूट चुकी थी और फिर हार्दिक ने विकेट लिया। मुझे खुशी यह है कि इतने बड़े दिन में टीम के लिए कंट्रीब्यूट कर पाया।

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