ऐसा करना आसान नहीं...अश्विन को वो हैरतअंगेज कदम, जिसने मुरलीधरन को भी हिला डाला; श्रीलंकाई दिग्गज ने किया सलाम
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भारत के धाकड़ ऑफ स्पिनर आर अश्विन ने इंटरनेशनल क्रिकेट को अलविदा कह दिया है। उन्होंने ऑस्ट्रेलिया के खिलाफ जारी पांच मैचों की टेस्ट सीरीज के बीच में रिटायरमेंट का ऐलान किया। गाबा में जैसे ही तीसरा टेस्ट ड्रॉ हुआ तो 38 वर्षीय अश्विन ने अपने फैसले से सभी को चौंका दिया। उन्होंने अपने करियर में 106 टेस्ट मैच खेले और 537 विकेट चटकाए। टेस्ट इतिहास में सबसे ज्यादा 800 विकेट लेने वाले श्रीलंका के महान स्पिनर मुथैया मुरलीधरन ने अश्विन की तारीफ करते हुए सलाम किया है। उन्हें लंबे अरसे पहले अश्विन द्वारा उठाए गए एक हैरतअंगेज कदम ने हिला डाला था।
मुरलीधरन ने टेलीकॉम एशिया स्पोर्ट को दिए इंटरव्यू में कहा, "आपको याद होगा कि अश्विन ने अपना करियर बल्लेबाज के रूप में शुरू किया था और पार्ट टाइम ऑप्शन के रूप में स्पिन गेंदबाजी में हाथ आजमाया। जल्द ही उन्हें एहसास हो गया कि उनकी बल्लेबाजी की आकांक्षाएं खत्म होने वाली हैं और उन्होंने अपना फोकस बॉलिंग पर शिफ्ट कर दिया। अश्विन को इस साहसिक कदम को उठाने और जो कामयाबी उन्होंने हासिल की, उसके लिए सलाम है। 500 टेस्ट विकेट तक पहुंचना कोई आसान काम नहीं है।"
बता दें कि अश्विन ने 2020 में इंटरनेशनल क्रिकेट डेब्यू में किया। वहीं, मुरलीधरन ने 2011 में अपना आखिरी इंटरनेशनल मैच खेला। महान स्पिनर ने कहा, ''जब अश्विन आए तब मैं अपने करियर के अंतिम पड़ाव पर था। हालांकि, वह मुझे एक चतुर युवा खिलाड़ी लगे, जो सीखने के लिए उत्सुक था। वह सलाह मांगते थे और गहरे सवाल पूछते थे। उन्होंने खुद को बेहतर बनाने के लिए कड़ी मेहनत की। यही लगन और भूख उन्हें दूसरों से अलग बनाती है।" अश्विन टेस्ट इतिहास में सबसे ज्यादा विकेट वाले प्लेयर्स की लिस्ट में सातवें नंबर पर हैं और मुरलीधरन के बाद दूसरे सबसे सफल ऑफ स्पिनर हैं।
श्रीलंकाई दिग्गज ने कहा, "टेस्ट में भारत के लिए दूसरे सबसे ज्यादा विकेट लेने वाले गेंदबाज के रूप में संन्यास लेना एक बड़ी उपलब्धि है। अश्विन ने खुद को, तमिलनाडु क्रिकेट को और अपने पूरे देश को गौरवान्वित किया है। मैं उनकी दूसरी पारी की सफलता की कामना करता हूं।" मुरलीधरन ने साथ ही जिक्र किया कि अश्विन हमेशा कुछ नया सीखने के लिए तैयार रहते थे। उन्होंने कहा, "अश्विन का करियर खत्म हो रहा था लेकिन सीखने के प्रति उनका जुनून कभी कम नहीं हुआ। उन्होंने जो विविधताएं विकसित कीं, उन्हें देखकर पता चलता है कि वह अपनी उपलब्धियों से संतुष्ट नहीं थे। उनमें हमेशा आगे बढ़ने की ललक रही।"
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