वह सचिन तो नहीं लेकिन...क्या केएल राहुल के साथ हुई नाइंसाफी? रोहित-गंभीर के फैसले पर पूर्व क्रिकेटर ने उठाया सवाल
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भारत ने बांग्लादेश के खिलाफ पहले टेस्ट मैच में 280 रनों से धमाकेदार जीत दर्ज की। भारत ने चेन्नई के मैदान पर दूसरी पारी 287/4 के स्कोर पर घोषित की और बांग्लादेश के सामने 515 का लक्ष्य रखा। भारत ने जब अपनी पारी घोषित की, तब शुभमन गिल 76 गेंदों में 119 और केएल राहुल 19 गेंदों में 22 रन बनाकर नाबाद थे। राहुल ने पहली पारी में महज 16 रन बनाए थे। कई क्रिकेट फैंस को लगता है कि लंबे समय बाद टेस्ट टीम में वापसी करने वाले राहुल के साथ नाइंसाफी हुई क्योंकि उन्हें दूसरी पारी में लंबे समय बल्लेबाजी का मौका नहीं मिला। वहीं, भारत के पूर्व क्रिकेटर और मशहूर कमेंटेटर आकाश चोपड़ा का भी मानना है कि पारी घोषित में जल्दबाजी नहीं करनी चाहिए थी और राहुल को समय दिया जाना चाहिए था। उन्होंने कप्तान रोहित शर्मा और हेड कोच गौतम गंभीर के फैसले पर सवाल उठाया है।
'सेहत पर फर्क नहीं पड़ता'
आकाश ने अपने यूट्यूब चैनल पर कहा, ''डेढ़ दिन बचा था। आप 280 रन से जीते हो। आपने फॉलोऑन भी नहीं दिया। आपके पास समय की कोई कमी भी नहीं थी। बारिश भी नहीं आ रही। तो क्या केएल राहुल को भी 60-70 रन बनाने का मौका दिया जा सकता था। ऑप्शन था। आप चांस दे सकते थे। मैच के रिजल्ट पर कोई फर्क नहीं पड़ रहा था। आपके वर्कलोड मैनेजमेंट पर कोई फर्क नहीं पड़ रहा था। जब कोई चीज प्रभावित नहीं हो रही, तब अगर बंदा एक या सवा घंटा खेल लेता तो सेहत पर कुछ फर्क नहीं पड़ता। वह उस समय 19 गेंदों में 22 रन बना चुके थे।''
इसके बाद, आकाश ने पूर्व कप्तान राहुल द्रविड़ के एक फैसले का जिक्र किया, जिसकी काफी चर्चा होती है। दरअसल, द्रविड़ ने 2004 में मुल्तान में पाकिस्तान के खिलाफ टेस्ट मैच में उस वक्त पारी घोषित कर दी थी, जब महान बल्लेबाज सचिन तेंदुलकर 194 रन पर थे। हालांकि, आकाश ने स्पष्ट किया कि वह राहुल और सचिन के बीच कोई तुलना नहीं कर रहे हैं। आकाश को लगता है कि राहुल और ज्यादा समय तक बल्लेबाजी करने के हकदार थे, क्योंकि नंबर-6 पर प्रॉपर बैटर नहीं खेलते।
'वह सचिन तेंदुलकर नहीं'
पूर्व क्रिकेटर ने कहा, ''मैं यह नहीं कर रहा कि सचिन की तरह राहुल 194 पर बैटिंग कर रहे थे। वह केएल राहुल हैं, सचिन तेंदुलकर नहीं। आपने राहुल को नंबर-6 पर भेजा। इस नंबर पर प्रॉपर बैटर नहीं खेलते। लेकिन मुझे लगता है कि उनके बारे में सोचना चाहिए था क्योंकि ऑप्शन था और मैच के परिणाम पर कोई असर नहीं पड़ रहा था। इसमें यह भी बात नहीं है कि हम टीम के बारे में सोचते हैं। टीम तो 11 लोगों से बनती है। 11 लोगों में सभी लोग अच्छा करते रहते हैं तो जीतने के चांस और भी ज्यादा रहते हैं।"
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