अंशुमान गायकवाड़ के ग्लव्स से खून टपका और पैड पर गिरा... उन्हें पता भी नहीं चला था, कैरेबियाई बॉलर्स भी ऐसी हिम्मत देखकर दंग रह गए थे
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टीम इंडिया के पूर्व क्रिकेट अंशुमान गायकवाड़ का 71 साल की उम्र में निधन हो गया। गायकवाड़ ब्लड कैंसर से जूझ रहे थे हाल में भारतीय क्रिकेट कंट्रोल बोर्ड (बीसीसीआई) ने उनके इलाज में मदद के लिए 1 करोड़ रुपये दिए थे। अंशुमान लंबे समय से बीमार थे, लेकिन उन्होंने ब्लड कैंसर के खिलाफ जंग लड़ने में भी दिलेरी दिखाई, जैसी दिलेरी वो अपने क्रिकेट खेलने के समय भी दिखा चुके हैं। पिछले महीने ही लंदन में इलाज कराकर वापस लौटे थे। अंशुमान के अगर क्रिकेटिंग करियर पर नजर डालें, तो उन्होंने भारत के लिए कुल 40 टेस्ट और 15 वनडे इंटरनेशनल मैच खेले हैं। इस दौरान गायकवाड़ ने 30 की औसत से 1985 टेस्ट रन और 20.69 की औसत से कुल 269 वनडे रन बनाए हैं। फर्स्ट क्लास क्रिकेट में गायकवाड़ ने 41.56 की औसत से कुल 12,136 रन बनाए हैं, जिसमें 34 शतक और 47 अर्धशतक शामिल हैं। अंशुमान के जुझारूपन को समझना है, तो उनकी एक पारी का किस्सा आपको जरूर जानना चाहिए।
21 अप्रैल 1976 से वेस्टइंडीज वर्सेस इंडिया चार मैचों की सीरीज का चौथा टेस्ट मैच शुरू हुआ। उस समय वेस्टइंडीज के कप्तान क्लाइव लॉयड थे और टीम इंडिया बिशन सिंह बेदी की कप्तानी में खेल रही थी। तीन टेस्ट मैचों के बाद सीरीज 1-1 की बराबरी पर थी और दोनों टीमों के लिए आखिरी टेस्ट मैच करो या मरो वाला था। क्लाइव लॉयड के लिए वह टेस्ट मैच कुछ ज्यादा ही अहम था, क्योंकि उस समय उनकी कप्तानी पर तलवार लटक रही थी। आखिरी टेस्ट मैच में कैरेबियाई टीम चार तेज गेंदबाजों के साथ खेलने उतरी, माइकल होल्डिंग, वैन डेनियल, बर्नार्ड जूलियन और वैनबर्न होल्डर मिलकर उस टेस्ट मैच में ऐसी गेंदबाजी कर रहे थे कि किसी भी भारतीय खिलाड़ी का मैदान पर टिक पाना मुश्किल हो रहा था।
मैच किंग्स्टन के सबीना पार्क में खेला जा रहा था और पिच पर भी काफी गड्ढे थे, जिससे तेज गेंदबाजों को अलग से बाउंस मिल रहा था। अंशुमान गायकवाड़ उस मैच में पहली पारी में 81 रन बनाकर रिटायर्ड हर्ट हुए थे। वो जिस तरह की बैटिंग कर रहे थे, आखिर तक कैरेबियाई गेंदबाज उन्हें आउट नहीं कर सके। 450 मिनट तक गायकवाड़ ने डटकर कैरेबियाई पेसर्स की खूंखार गेंदों को झेला था। उस मैच में कैरेबियाई पेसर्स बीमर गेंदें भी फेंक रहे थे और उस समय में बैटर्स के बचाव के लिए ना हेलमेट ढंग के होते थे और ना ही ग्लव्स और पैड की क्वॉलिटी आला दर्जे की होती थी। वेन डेनियल तो ये जता रहे थे कि गेंद उनके हाथ से फिसल जा रही थी। सुनील गावस्कर ने अपनी आत्मकथा 'सनी डेज' में इस मैच का जिक्र किया है और लिखा था कि लॉयड को कप्तानी से हटाए जाने का डर था और उन्होंने इसलिए हमारे ऊपर तेज गेंदबाजों के जरिए हमला बोल दिया था।
पहले दिन का खेल खत्म होने तक भारत ने एक विकेट पर 178 रन बना लिए थे। अंशुमान 58 और मोहिंदर अमरनाथ 25 रन बनाकर नॉटआउट लौटे थे। गावस्कर ने 66 रनों की पारी खेली थी। गुंडप्पा विश्वनाथ इस मैच में होल्डिंग की जिस गेंद पर आउट हुए थे, उस गेंद ने उनकी अंगुली तोड़ दी थी। अंशुमान गायकवाड़ पर लिखी गई आदित्य भूषण की किताब 'गट्स एमिस्ट ब्लडबाथ' में इस पारी का जिक्र है। आदित्य लिखते हैं कि पसलियों में दर्द के कारण गायकवाड़ के लिए जरा सा भी पैर हिलाना मुश्किल हो रहा था। एक जांबाज मुक्केबाज की तरह उन्हें जितनी गेंदों से चोट लगती, उनका दृढ़ निश्चय उतना ही बढ़ जाता।
गायकवाड़ की दिलेरी
शारीरिक तकलीफों के बावजूद गायकवाड़ अपना स्कोर 81 रनों तक ले गए। दूसरे दिन के लंच से ठीक पहले, होल्डिंग की एक गेंद उनके सीने में ठीक उसी जगह लगी, जहां उन्हें मैच के पहले दिन भी चोट लगी थी। गायकवाड़ को खूब दर्द हुआ, लेकिन उन्होंने वो दर्द छुपा लिया। अगली गेंद गायकवाड़ के ग्लव्स पर लगी, उन्हें मानो उस समय दर्द का एहसास होना ही बंद हो गया था। लेकिन जब वो अगली गेंद खेलने के लिए स्टांस ले रहे थे, तो ग्लव्स में से खून निकलकर उनके पैड पर गिरा। उन्होंने जब ग्लव्स उतारा तो पता चला कि एक अंगुली का नाखून टूट गया है और वहीं से खून बह रहा है।
खून निकल रहा था लेकिन दर्द समझ नहीं आया था...
ये देखकर भी गायकवाड़ होल्डिंग की अगली गेंद खेलने को तैयार हो गए, जो उनके सिर पर आ लगी। इससे पहले गायकवाड़ को कुछ समझ आता, वो जमीन पर गिरे हुए थे। लॉयड और विव रिचर्ड्स ने जाकर उनका हाल भी पूछा। गायकवाड़ को बाद में हॉस्पिटल ले जाया गया। जहां उन्हें पेन किलर इंजेक्शन लगे। पहली पारी में भारत को छह विकेट पर 306 रनों पर पारी घोषित करनी पड़ी क्योंकि बैटिंग के लिए बैटर मौजूद नहीं थे।
गायकवाड़ के वो 81 रन कई शतकों से बढ़कर
गायकवाड़ दूसरी पारी में भी बैटिंग के लिए तैयार थे, लेकिन उस समय टीम के मैनेजर रहे पॉली उमरीगर ने उन्हें ऐसा करने से मना कर दिया। वेस्टइंडीज ने पहली पारी में 391 रन बनाए। भारत की दूसरी पारी में गायकवाड़, विश्वनाथ, बृजेश पटेल, बिशन सिंह बेदी और भगवत चंद्रशेखर बैटिंग के लिए उतर भी नहीं पाए और दूसरी पारी 97 रनों पर घोषित करनी पड़ी। वेस्टइंडीज ने वो मैच 10 विकेट से जीत लिया था, लेकिन ऐसी खतरनाक गेंदबाजी के लिए कैरेबियाई टीम की जमकर आलोचना हुई थी।
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