AFG vs NZ: ग्रेटर नोएडा स्टेडियम पर लटकी तलवार, BCCI और ACB में से किसकी गलती? छिन सकती है इंटरनेशनल मैच की मेजबानी

AFG vs NZ: ग्रेटर नोएडा स्टेडियम पर लटकी तलवार, BCCI और ACB में से किसकी गलती? छिन सकती है इंटरनेशनल मैच की मेजबानी

2 months ago | 19 Views

अफगानिस्तान और न्यूजीलैंड के बीच लगातार दूसरे दिन टेस्ट मैच शुरू नहीं होने के बाद ग्रेटर नोएडा के शहीद विजय सिंह पथिक खेल परिसर के भविष्य का फैसला काफी हद तक मैच रेफरी जवागल श्रीनाथ की रिपोर्ट पर निर्भर करेगा। स्टेडियम में इस तरह की खामियों का ठीकरा अकसर भारतीय क्रिकेट बोर्ड (बीसीसीआई) पर फोड़ा जाता है लेकिन इस बार गड़बड़ी की पूरी जिम्मेदारी मेजबान अफगानिस्तान क्रिकेट बोर्ड (एसीबी) की है। बीसीसीआई ने अफगानिस्तान क्रिकेट बोर्ड को विकल्प के तौर पर बेंगलुरु के चिन्नास्वामी स्टेडियम और कानपुर के ग्रीन पार्क स्टेडियम की पेशकश की थी लेकिन अफगानिस्तान क्रिकेट बोर्ड ने अपने खिलाड़ियों के इस स्थल से परिचित होने और कम खर्च जैसे मुद्दों को तरजीह देते हुए इस स्थल का चयन किया।

2019 के बाद से मेजबानी नहीं की

इस टेस्ट मैच में बीसीसीआई की कोई भूमिका नहीं है। यह स्थल पूरी तरह से अफगानिस्तान क्रिकेट बोर्ड की पसंद थी और ग्रेटर नोएडा प्राधिकरण को उन्हें अंतरराष्ट्रीय स्तर की सुविधाएं मुहैया करानी थी। सूत्रों की मानें तो बीसीसीआई ने 2019 (विजय हजारे ट्रॉफी) के बाद से यहां अपने किसी भी घरेलू मुकाबले की मेजबानी नहीं की है। यहां की निम्न स्तरीय परिस्थितियों को देखते हुए निकट या दूर के भविष्य में किसी मैच की मेजबानी की संभावना ना के बराबर है। अंतरराष्ट्रीय क्रिकेट परिषद (आईसीसी) किसी भी अंतरराष्ट्रीय स्थल के लिए मानक प्रोटोकॉल का पालन करेगा जहां मैच रेफरी की रिपोर्ट आगे की कार्रवाई पर फैसला होगा। पहले दो दिनों में एक भी गेंद नहीं फेंकी जा सकी और मंगलवार शाम को हुई भारी बारिश के बाद तीसरे दिन के खेल की संभावना भी बेहद कम हो गई है।

कप्तान साउदी क्या टिप्पणी देंगे?

श्रीनाथ को मैदान की गीली आउटफील्ड का आकलन करना होगा, जहां जल निकासी अन्य अंतरराष्ट्रीय स्थलों की तरह नहीं है। आउटफील्ड बारिश से बचाने के लिए पर्याप्त कवर के साथ मैदान से पानी सोखने के लिए सुपर सॉपर का भी स्टेडियम में अभाव है। पर्याप्त रूप से प्रशिक्षित ग्राउंड स्टाफ की कमी ने इस स्थल की समस्याओं को और बढ़ा दी है। नवंबर 2023 में लागू हुई आईसीसी ‘पिच और आउटफील्ड मॉनिटरिंग प्रक्रिया’ के अनुसार, ‘प्रत्येक मैच के बाद, मैच रेफरी (इस मामले में श्रीनाथ) पिच और आउटफील्ड रिपोर्ट से जुड़ी फॉर्म को आईसीसी के सीनियर क्रिकेट संचालक के प्रबंधक को भेजेगा। ‘पिच और आउटफील्ड रिपोर्ट फॉर्म’ में मैच रेफरी के साथ अंपायरों और दोनों टीमों के कप्तानों की टिप्पणियां भी होती हैं। यह देखना दिलचस्प होगा कि न्यूजीलैंड के कप्तान टिम साउदी ने किस तरह की टिप्पणी देते हैं।

डिमेरिट अंक 5 साल तक प्रभावी

इस रिपोर्ट के मिलने के 14 दिन के अंदर आईसीसी सीनियर क्रिकेट संचालक के प्रबंधक इसे मेजबान बोर्ड को भेजकर स्टेडियम पर लगाए गए डिमेरिट अंकों की जानकारी देते हैं। आईसीसी अनुच्छेद के अनुसार, ‘‘मैच रेफरी के पास अगर पिच और/या आउटफील्ड को असंतोषजनक या अनफिट रेटिंग देने का कारण है, तो मेजबान स्थल पर पिचों की रेटिंग के दिशानिर्देशों के अनुसार डिमेरिट अंक दिए जाएंगे।’’ ये डिमेरिट अंक पांच साल तक प्रभावी रहते हैं। ग्रेटर नोएडा स्थल के नाम अगर छह या उससे अधिक डिमेरिट अंक हो जाते हैं तो उसे 12 महीने तक अंतरराष्ट्रीय मैचों की मेजबानी से निलंबित कर दिया जाएगा।

क्या एसीबी का बदलेगा मन?

आईसीसी नियमों के मुताबिक हालांकि एक मैच के लिए अधिकतम तीन डिमेरिट अंक दिए जा सकते हैं और इस आयोजन स्थल को निलंबित करने के लिए एक और ऐसे मैच की जरूरत होगी। ऐसे में यह देखने की जिम्मेदारी अफगानिस्तान क्रिकेट बोर्ड पर होगी कि क्या वे ऐसे स्थान पर मैचों की मेजबानी जारी रखना चाहेंगे, जो निकट भविष्य में अपने खराब बुनियादी ढांचे के कारण निलंबित हो सकता है। स्थानीय अधिकारियों द्वारा भी बीसीसीआई की मदद के बिना इस मैदान में बड़े पैमाने पर बदलाव नहीं किया जा सकता है।

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