रामानंद सागर को 10 साल तक क्यों लगाने पड़े थे कोर्ट के चक्कर? पढ़िए ‘रामायण’ से जुड़ा यह पूरा किस्सा
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रामानंद सागर की ‘रामायण’ का प्रसारण 1987 में शुरू हुआ था। हर हफ्ते इसका 35 मिनट का एक एपिसोड आता था। इसकी कहानी वाल्मिकी रामायण और तुलसीदास के रामचरितमानस से ली गई थी। लोगों को भगवान राम और माता सीता की कहानी सुनने में इतना आनंद आता था कि वह इतंजार करते थे कि कब रविवार आएगा और कब ‘रामायण’ का अगला एपिसोड प्रसारित होगा। किंतु आपको पता है जब ‘रामायण’ खत्म हो गया था तब रामानंद सागर पर केस हुआ था? नहीं! आइए आपको इसके बारे में बताते हैं।
रामानंद सागर पर डाला गया था दबाव
जब ‘रामायण’ का 78वां एपिसोड प्रसारित हुआ और माता सीता के धरती में समाने का सीन दिखाया गया तब लोग पागल हो गए। वे इसके आगे की कहानी दिखाने की मांग करने लगे। इतना ही नहीं, दूरदर्शन और रामानंद सागर पर दबाव भी बनाने लगे। हालांकि, रामानंद सागर इसके लिए तैयार नहीं थे। उन्होंने माता सीता के धरती में समा जाने के बाद की कहानी दिखाने से मना कर दिया था। रामानंद सागर का कहना था कि अगर वे इसके आगे की कहानी दिखाएंगे तो वह कल्पना पर आधारित होगी क्योंकि वाल्मिकी रामायण और तुलसीदास के रामचरितमानस में सिर्फ यहीं तक की कहानी लिखी हुई है।
10 साल तक चला कोर्ट केस
हालांकि, दूरदर्शन और लोगों के इतना कहने पर रामानंद सागर मान गए। उन्होंने ‘रामायण उत्तर कांड’ के नाम से इसका सीक्वल बनाया, लेकिन इसमें दिखाई जाने वाली कहानी लोगों को पसंद नहीं आई। इस पर बहुत विवाद हुआ, लोगों ने आपत्ति भी जताई और कोर्ट केस भी कर दिया। मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक, रामानंद सागर को ‘रामायण उत्तर कांड’ की वजह से 10 साल तक कोर्ट के चक्कर लगाने पड़े थे।
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