कौन कहां बैठेगा? क्या खाएगा? फिल्म इंडस्ट्री में ये सब जाति के आधार पर तय होता है- कोंकणा
2 months ago | 5 Views
कोंकणा सेन शर्मा ने चौंका देने वाले दावे किए हैं। पिछले 20 साल से हिंदी और बंगाली फिल्म इंडस्ट्री में काम करने वालीं एक्ट्रेस कोंकणा ने बताया कि सेट पर लड़कियों के साथ गंदी-गंदी चीजें होती हैं और ये हरकत फिल्म इंडस्ट्री के बड़े-बड़े लोग करते हैं। इसलिए कभी भी कोई भी इनके खिलाफ आवाज नहीं उठा पाता है। इतना ही नहीं, जाति के आधार पर भी लोगों के साथ भेदभाव किया जाता है।
जाति के हिसाब से तय होता है कौन कहां बैठेगा
कोंकणा ने सुचरिता त्यागी को दिए इंटरव्यू में हेमा कमेटी रिपोर्ट पर बात करते हुए कहा, ‘फिल्म के सेट पर, बल्कि पूरी फिल्म इंडस्ट्री में, जाति और वर्ग के आधार पर लोगों के साथ भेदभाव किया जाता है। किसे कहां बैठना है? बैठने की इजाजत है भी या नहीं? किसे क्या खाना है? किसका बाथरूम कहां होगा? ये सब जाति के आधार पर तय होता है।’
“एक्ट्रसेस को 'फर्नीचर' समझा जाता है”
कोंकणा ने आगे कहा, ‘अगर आप सीनियर एक्ट्रेस नहीं हैं तो आपके साथ बहुत बुरा बर्ताव होता है। आपको 'फर्नीचर' समझा जाता है। ऐसे माहौल में काम करना बहुत मुश्किल है। मैं तो कल्पना भी नहीं कर सकती कि ये सब सहना कितना मुश्किल होता होगा।’
क्या है हेमा कमेटी रिपोर्ट?
साल 2017 में एक मलयालम एक्ट्रेस के साथ रेप हुआ था। इस घटना की वजह से मलयालम फिल्म इंडस्ट्री में आंदोलन छिड़ गया। ऐसे में केरल सरकार ने न्यायमूर्ति के.हेमा की अध्यक्षता में एक समिति का गठन किया और जांच के आदेश दिए। समिति ने दो साल तक मलयालम फिल्म इंडस्ट्री पर रिसर्च की और साल 2019 में सरकार को रिपोर्ट साैंपी। लेकिन सरकार ने इस रिपोर्ट को बाहर नहीं आने दिया। आरटीआई और पत्रकारों ने जब दबाव बनाया तब अगस्त 2024 में इस रिपोर्ट को पब्लिक किया गया और इस रिपोर्ट ने मलयालम फिल्म इंडस्ट्री के काले चिट्ठे खोल दिए।
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