जब हनीमून मनाने गए रितेश-जेनेलिया को मिल गए रतन टाटा, बताया दिल छूने वाला किस्सा
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रतन टाटा के निधन पर कई सिलेब्स के पोस्ट सोशल मीडिया पर दिखाई दे रहे हैं। अब रितेश देशमुख ने एक पुराना किस्सा लिखा है। यह रितेश और जेनेलिया के हनीमून के समय की बात है जब वहां उन्हें रतन टाटा मिल गए थे। रितेश ने बताया है कि जाने-अनजाने में रतन टाटा ने कितनी बड़ी सीख दी और किस तरह उन दोनों से मिलकर उस मुलाकात को यादगार बना दिया।
जब रोम में मिले रतन टाटा
रितेश लिखते हैं, जब मैं अप्रैल 2012 को पीछे मुड़कर देखता हूं तो लगता है कि बहुत पुरानी बात है। मैं और जेनेलिया रोम में अपने हनीमून की मस्ती में डूबे थे। हमें नहीं पता था कि होटल में हमारा ब्रेकफास्ट कभी न भूलने वाला अनुभव बन जाएगा। जेनेलिया ने मुझे कोहनी मारी, कमरे में दूर उसकी आंखें किसी जान-पहचान के शख्स- मिस्टर रतन टाटा से मिलीं। मेरे पिता और उनके अच्छे रिश्ते थे लेकिन पहले मुझे उनसे मिलने का मौका नहीं मिला था। मैंने उनके पास जाकर बात करने की हिम्मत जुटाई, इससे पहले कि मैं अपना परिचय देता, उन्होंने मुस्कराकर मेरा स्वागत, हेलो रितेश कहकर किया।
रतन टाटा ने मांगी माफी
रितेश आगे लिखते हैं, ट्रैवल की वजह से हमारी शादी पर न आ पाने की माफी ने मेरा दिल छू लिया। उनका ऐसा करना इस बात का सबूत था कि वह कितने विनम्र, विचारशील और दयालु हैं। जब मैंने बताया कि जेनेलिया भी साथ है तो उन्होंने पूछा कि कहां है। मैंने जेनेलिया की तरफ देखा और उसे कहा कि हमारे पास आए लेकिन इससे पहले कि वह एक कदम भी बढ़ा पाती, बिना झिझके वह अपनी सीट से उठे और उसके पास पहुंच गए। उनके शब्द थे, 'कभी किसी लेडी को मत चलवाओ, खुद जाकर उसे हैलो बोलो।', मेरे जहन में हमेशा के लिए बस गए।
हमेशा के लिए मिली सीख
इन कुछ पलों में मैंने मिस्टर टाटा शिष्टता और विनम्रता का अक्स देख लिया। उनकी मौजूदगी ही सम्मान की हकदार होती थी न सिर्फ उनकी उपलब्धियों के लिए बल्कि वह जो शख्सियत थे उसके लिए भी। साल बीत गए लेकिन ये याद ताजा रहेगी। मैं वो मुलाकात याद रखता हूं न सिर्फ जो सीख मिली उसके लिए बल्कि जो गर्मजोशी और दयाभाव वह हमारे साथ बांटते हैं। मिस्टर टाटा, आप हमेशा लेजंड की तरह याद किए जाएंगे, ग्रेस और दया के सच्चे प्रतीक। आपका प्रभाव पीढ़ियों को प्रेरणा देता रहेगा। आप हमेशा जिंदा रहेंगे। रितेश देशमुख।
जेनेलिया का कमेंट
इस पोस्ट पर जेनेलिया का कमेंट है, हम कितने लकी थे रितेश। कितना सुना था लेकिन असल में उनके बड़प्पन को देख सके जिसे मैं एक तोहफा मानती हूं।
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