ऐसा नहीं है सिर्फ कश्मीरी पंडित के साथ...अली गोनी ने बताया कैसे कश्मीर छोड़ परिवार को भागना पड़ा था जम्मू
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लाफ्टर शेफ्स के अली गोनी ने हाल ही में एक पॉडकास्ट में अपने जन्म और बचपन के दिनों को याद किया। अली गोनी का जन्म जम्मू-कश्मीर के भद्रवाह में हुआ था। अली का जन्म साल 1991 में हुआ था। उस वक्त कश्मीर में आतंकवाद चरम पर था। अली गोनी ने अपने बचपन के दिनों के बारे में बताते हुआ कहा कि उनका बचपन बाकी बच्चों की तरह नहीं था। उन्होंने कहा कि उस वक्त कश्मीर में हालात बहुत खराब थे। टीवी एक्टर ने बाताया कैसे उनके परिवार को सब कुछ छोड़ कर कश्मीर से जम्मू भागना पड़ा था।
बहुत कम उम्र में मुंबई आ गए थे अली गोनी
भारती सिंह और हर्ष लिंबाचिया के पॉडकास्ट में अली गोनी मुंबई में अपनी जर्नी के बारे में बात कर रहे थे। इसी दौरान अली गोनी ने कहा कि वो बहुत कम उम्र में मुंबई आ गए थे। वो अपनी पढ़ाई छोड़कर मुंबई आए थे। कश्मीर में अपने जीवन को याद करते हुए अली ने कहा कि उन्हें आज बहुत खुशी होती है कि जम्मू-कश्मीर के लड़के-लड़कियां बाहर निकल रहे हैं। कुछ कर रहे हैं। अली ने कहा कि उस टाइम पर कोई बाहर नहीं आता था।
आज के बच्चे कश्मीर में अच्छा जीवन जी रहे हैं
अली ने फिर अपने जन्म से जुड़ा एक किस्सा शेयर किया। अली ने कहा, "हमारा जीवन ना बहुत अलग बीता है। हमारे बचपन आज के बच्चों की तरह नहीं था। आज के बच्चे वहां (कश्मीर) बहुत अच्छी जिंदगी जी रहे हैं। हम लोगों ने बहुत कर्फ्यू में जिंदगी बिताई है। जिस दिन मैं पैदा हुआ था, जिस हॉस्पिटल में पैदा हुआ था उसके बाहर एनकाउंटर चल रहा था। मेरी मम्मी और एक रिश्तेदार हॉस्पिटल में थे। बाकी सब घरवाले घर पर फंसे हुए थे। उनको पता भी नहीं था कि बेटा हुआ या बेटी, बच्चा ठीक है या नहीं। पूरा कर्फ्यू था, एनकाउंटर चल रहा था और मेरी मम्मी की डिलिवरी हो रही थी। ऐसे माहौल में मैं पलाबड़ा हूं।"
जब अली के पिता ने कश्मीर छोड़ने का फैसला लिया
अली ने आगे बताया कि 90 में मिलिटेंसी शुरू हो गई थी और वो 1991 में पैदा हुआ थे।उस वक्त बहुत मिलिटेंसी पीक पर थी। अली ने बताया कि जब वो भद्रवाह में थे तो महीने में बस दो-तीन दिन स्कूल जाते थे, बाकी दिन कर्फ्यू रहता था। इसके बाद अली के पिता ने कहा कि बच्चों के लिए ये ठीक नहीं है। उन्होंने कश्मीर को छोड़ने का फैसला लिया।
अली के परिवार को सबकुछ छोड़ जम्मू भागना पड़ा था
अली ने बताया कि जम्मू में उस वक्त शांति थी तो हम जम्मू पहुंचे और वहां स्कूल जाना शुरू किया। उन्होंने कहा कि तब मैनें बहुत सी चीजें देखीं, तब मुझे पता चला कैसे चलती है दुनिया क्योंकि कश्मीर में कभी भी अटैक हो जाता था, कभी भी ब्लास्ट हो जाता था तो घरवाले हमें बाहर नहीं जाने देते थे तो हम बस घर में बंद रहते थे।
अली ने अपनी बात को आगे बढ़ाते हुए कहा, “ मुझे नहीं पता आज मैं क्या कर रहा होता अगर मेरे पापा ने हमें वहां से निकाला नहीं होता। मेरे पापा अपनी फैक्ट्री-वैक्ट्री सब छोड़ कर निकले थे। उस वक्त हमने बहुत बुरा समय देखा क्योंकि जब हम शिफ्ट हुए तो हमें सब छोड़कर भागना पड़ा। ऐसा नहीं है, बड़े लोग बोलते हैं कि कश्मीरी पंडित के साथ हुआ, सबके साथ हुआ है। जो लोग इसमें घुसना नहीं चाहते थे, वो सब लोग अपने बच्चों को अच्छा फ्यूचर देखने के लिए घर छोड़ देते थे।”
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