
'पठान' के डायलॉग राइटर अब्बास को खटका मुस्लिम विलन का ट्रेंड, औरंगजेब को क्रूर दिखाने पर भी बोले
1 month ago | 5 Views
शाहरुख खान की फिल्म पठान के डायलॉग राइटर अब्बास टायरवाला को लगता है कि अब दौर पहले से काफी बदल गया है। उन्हें लगता है कि अब कोई डायलॉग लिखते वक्त काफी सोचना पड़ता है। अब्बास ने कहा कि उन्हें मुस्लिम विलन देखकर भी बोरियत होने लगी है। वह औरंगजेब को क्रूर दिखाने पर भी बोले।
मुसलमान विलन से होती है बोरियत
फिल्ममेकर, राइटर अब्बास टायरवाला लल्लनटॉप से बातचीत कर रहे थे। उन्होंने बताया कि अब काम करते वक्त किस तरह की मुश्किलें आती हैं और पहले से क्या अलग महूसस करते हैं। अब्बास बोले, 'पहले फिल्में इंडिविजुअलिस्टिक फिल्ममेकर्स बनाते थे। मैंने अपनी सोच के लोगों के साथ काम किया है। वो दौर अलग था। बहुत कम ऐसा हुआ कि मैं बड़ी फिल्में कर रहा हूं और वहां फिल्म का पॉलिटिकल स्टैंड देखकर मुझे घिन आ रही हो। या मुझे लग रहा हो कि यार ये क्या गंदगी है। अब ऐसा वक्त है कि फिल्मों में अब एक और मुसलमान विलन देखकर मुझे बोरियत हो रही है। ऐसा इसलिए नहीं कि मैं एक हिंदुस्तानी मुसलमान हूं।'
नहीं कुरेदना चाहता जख्म
अब्बास आगे बोलते हैं, 'अब जैसे मैं एक फिल्म कर रहा हूं हरी हारा वीरा मल्लू। साउथ की बाई लिंगुअल फिल्म है। पवन कल्याण के साथ तेलुगू पीरियड ड्रामा है। उसमें बॉबी देओल औरगंजेब का रोल निभा रहे हैं। अब औरंगजेब को दिखा रहे हैं तो कुछ ऐसी चीजें दिखाई जाएंगी जिससे हमें इतिहास में भी दिक्कत है। वो कहीं पर बतौर राइटर मेरे लिए भी मुश्किल होता है कि वो है तो सच और हम थोड़ा बढ़ा-चढ़ा भी रहे हैं। ये हुआ तो था और कहीं पर एक इंडियन मुस्लिम होने के नाते, एक सेक्युलर इंसान होने के नाते जो इस देश कि विभिन्नता को पसंद करता है, जो चाहता है कि ये जख्म न कुरेदे जाएं। मैं इन सबसे बचता भी जाता हूं लेकिन एक राइटर के तौर पर मैं अगर औरंगजेब को विलन दिखा रहा हूं तो कोशिश होती है कि उसकी क्रूरता ठीक से दिखा पाऊं। औरंगजेब को मैं अपने इतिहास से बचा तो नहीं सकता।
बनाना पड़ता है बैलेंस
अब्बास आगे बोले, 'जहां मुझे लगता है कि कोई डॉयलॉग मजे से ज्यादा जख्म कुरेदेगा वहां मुझे पहले से ज्यादा बचना पड़ रहा है। पहले ऐसा दौर ही नहीं था कि हर जगह पर एक पॉलिटिकल विचारधारा प्रभावी हो रही है। आपको अपना काम भी करना है। अब जिम्मेदारी का अहसास भी होता है। बड़ी फिल्म के मैसेज का क्या प्रभाव होगा, ये सोचना पड़ता है। आसान नहीं होता लेकिन आप जो हैं और जो लेखक हैं, इन दोनों सच्चाइयों को पकड़कर काम करना होता है।'
ये भी पढ़ें: सौरव गांगुली की बायोपिक बनने के लिए तैयार, यह टैलेंटेड एक्टर निभाएगा क्रिकेटर का किरदार